हिरोशिमा और नागासाकी का नाम सुनते ही आपके जहन में क्या आता है। एक धमाका, चारों तरफ आग, युद्ध की कीमत चुकाते निर्दोष नागरिक और मौन चीखें, जो आज तक गूंज रही हैं। साइंस का ये काला अध्याय और ओपेनहाइमर का पश्चाताप। 1939 में जब हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण किया, तो शुरुआत हुई दूसरे विश्व युद्ध की। लेकिन इसका अंत इतना डरावना था कि सिर्फ 2 दिन में जापान के लाखों लोग मारे गए थे। मशरूम के आकार का आसमान में एक गुब्बार दिखा, जिसे देखकर कोई ये नहीं समझ पाया कि वो क्या है। लेकिन ये दुनिया का पहला परमाणु बम था। मिनटों में जापान का हिरोशिमा और नागासाकी शहर, तबाह हो गया था। चारों तरफ आग, कंकरीट की इमारतों के अलावा, हर चीज जलकर राख हो गई। जापान को भी इस पर विश्वास नहीं हो रहा था कि एक बम इतनी तबाही कैसे मचा सकता है। उसी की याद में, हर साल 6 अगस्त को हिरोशिमा दिवस और 9 अगस्त को नागासाकी दिवस मनाया जाता है।
दूसरे विश्व युद्ध से 1 साल पहले ही, साल 1938 में जर्मनी परमाणु बम बनाने की कोशिश कर रहा था। इसलिए, साइंटिस्ट अलबर्ट आइंसटीन ने, अमेरिका के राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट को कहा कि हिटलर के वैज्ञानिकों से पहले हमें एटॉमिक बम बनाना होगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद शुरू हुआ मैनहेटन प्रोजेक्ट। इसका ये नाम मैनहेटन सिटी पर रखा गया था। जूलियस रोबर्ट ओपनहाइमर की लीडरशिप में अलबर्ट आइंसटाइन, एडवर्ड टेलर और लियो जैसे 15 साइंटिस्ट की टीम और 1 लाख से ज्यादा वर्कर इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। अमेरिका के पास यूरेनियम की कमी थी, इसलिए इसने ये एटम बम प्लूटोनियम से बनाया था। इसे बनने में 3 साल लगे, जिसके बाद जुलाई 1945 में न्यू मैक्सिको के लॉस एलामोस राज्य में इसकी टैस्टिंग हुई, जिसे ट्रिनिटी नाम दिया गया था।
6 अगस्त की सुबह अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर "लिटिल बॉय" परमाणु बम गिराया, जिससे लगभग 80 हजार लोग मारे गए। फिर भी जब जापान नहीं माना, तो 9 अगस्त को दोबारा अमेरिका ने जापान के नागासाकी शहर पर "फैट मैन" नाम का परमाणु बम गिराया। लगभग 40 हजार लोग मारे गए। जिसके बाद, 15 अगस्त को जापान ने सरेंडर कर दिया। ये देखकर ओपेनहाइमर बहुत दुखी थे। उस वक्त उनकी जुबान से गीता का एक श्लोक निकला था - मैं काल बन चुका हूं, संसार का विनाशक। क्योंकि उनके हाथों से बने एटॉम बम से जापान तबाह हो गया था। कुछ समय बाद, अमेरिका की सरकार ने उन्हें हाइड्रोजन बम बनाने को कहा, लेकिन ओपेनहाइमर ने साफ मना कर दिया। जिस वजह से उन्हें सोवियत समर्थक घोषित कर दिया गया था। लेकिन एटम बम की वजह से हुई ये तबाही इस बात का भी सबूत है कि साइंस का गलत इस्तेमाल पूरी मानवता को तबाह कर सकता है।